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अगरिया जोड़ो अभियान 2025 ज़िला अनूपपुर के ग्राम पयारी मे संपन्न हुआ ll

ज़िला अनूपपुर ब्लॉक पुष्पराजगढ़ के ग्राम पयारी मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक 15/06/2025 को ज़िला अनूपपुर ग्राम - पयारी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ मे ज़िला स्तरीय अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया उपस्थित हुए ll

अगरिया गोत्र agariya gotra

  अगरिया समाज गोत्र   अगरिया समाज  आदिम मानव काल की प्रजाति है जो प्राचीन काल से  लौह  का प्रगलन करते आया है आज भी अगरिया आदिवासी समुदाय लोहे का व्यवसाय अपनाया हुआ है जो अगरिया आदिवासी की मुख्य व्यवसाय है लोहे की सम्मग्री बनाना लोहे के साथ आग पर काम करना आज भी सतत रूप से जारी है।   अगरिया समाज में कई गोत्र है जो कई प्रकार के है नीचे पढ़िए अगरिया समाज का सम्पूर्ण गोत्रावली  1 - सोनवानी , सनवान ,सोनहा , 2 -अहिंदा , अहिंदवार , अहिंधा, 3-चिरई , छोटे चिरई  4 -रन चिरई  5 -मराई ,मरावी ,मरई (7 देवता ) 6 -गैंट ,कांदा ,बेसरा  7 -पोर्ते ,पोरे  8 -टेकाम                ९ -मरकाम    10 - धुर्वे , कछुआ ,धुरवा     11-गुइडार ,गोहरियार ,गोयरार    12 -गिधली , गिधरी   13 - नाग   14 -परसा   15 -गढ़कू ,गोरकु   16 - बरंगिया , बरगवार,  17 -कोइलियासी   18 -बाघ ,बघेल   19 -खुसरो ,खुसर   20 -मसराम   ...

मध्यप्रदेश में अगरिया इतिहास जिला सीधी में agariya history in madhyapradesh district seedhi

  मध्यप्रदेश में अगरिया इतिहास  जिला  सीधी में :- मध्यप्रदेश में अगरिया का इतिहास पूर्व काल से ही रहा है अगरिया कई वर्षो से लौह का प्रगलन  करते रहे है। मध्यप्रदेश में अगरिया के लौह प्रगलन के साक्ष्य की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है क्योकि कई महान  वैज्ञानिको ने अपने लेख को शोध के माध्यम से प्रस्तुत कर चुके है।  मध्यप्रदेश में अगरिया  प्रगलन का इतिहास जिला मंडला से कई जिलों में देखा जा चूका है एवं अगरिया आदिवासी के संस्कृति रीति रिवाज परंपरा को मध्यप्रदेश के सम्पूर्ण जिलों में रेखांकित किया गया है।  आज के लेख में हम मध्यप्रदेश के अगरिया आदिवासी  जो मप्र के जिला के जिला सीधी के ग्राम पंचायत जंगल में लौह प्रगलन  करते थे उनकी जानकारी प्रदान करेंगे।  जिला सीधी के ग्राम पंचायत पिपराही में घने जंगलो में अगरिया आदिवासी लौह का प्रगलन करते थेजिसका साक्ष्य  आज भी जंगलो में देखने को मिलता है। जिन स्थानों पर अगरिया आदिवासी द्वारा लोहा गलाया जाता था वहा साक्ष्य स्वारूप आज भी अगरिया आदिवासियों के भट्ठीयो,कोठी ,चेपुआ टूटे हुए आंशिक रूप से मौ...

अगरिया आदिवासी अगरिया असुर की जानकारी

  अगरिया जनजाति के  बारे में  लौह प्रगलन एवं अगरिया इतिहास की जानकारी देते हुए जशपुर हर्रा डीपा निवासी आमसाय अगरिया जी साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए  साथियो आपके समक्ष आज ऐसे ऐतिहासिक काल  साक्क्षय प्रस्तुत  कर रहा हु जो  archaeological survey of india  लिए उपयोगी हो सकता है।  छत्तिश्गढ़ का एक जिला जशपुर   ३०किलोमीटर  उत्तरदिशा में आस्ता कुसमी रोड स्थित है जहा सुप्रसिद्ध देवस्थल "ग्वालिन सरना " स्थित है  स्थल  उत्तर दिशा की ओर अगरिया  समाज के पूर्वज इस स्थान पर लगभग 50 से 60 एकड़ में फैले इस स्थान पर भरी मात्रा में लौह  प्रगलन का कार्य  किया है इस स्थान को पोखराडीपा नाम   से जाना   जाता है इसकी किवदंतिया ग्वालिन सरना से  भी जुडी हुई है जो की  प्रसिद्द है। ऐसा बताया जाता   है की अगरिया और असुर के द्वारा इस देव् स्थल को रात भर में बनाया गया था सुबह होने पर कुछ कार्य अधूरा रह गया जो की आज तक यथावत है। सूर्य की रौशनी में कार्य नहीं करना अगरिया  समाज की परंपरा...

अगरिया आदिवासी agariya adiwasi

 अगरिया आदिवासी  अगरिया शब्द का अभिप्राय संभवतः आग   पर काम करने वाले लोगो से है। अथवा आदिवासियों के देवता ,आज्ञासुर से ,जिनका जन्म लौ से हुआ माना जाता है।  अगरिया मध्यभारत के लोहा  पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग है जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते है। लेकिन अगरिया क्षेत्र को डिंडोरी से लेकर नेतरहाट तक रेखांकित किया जा सकता है , गोंड बैगा और अन्य आदिवासियों से मिलते जुलते रिवाजो और आदतों के कारन अगरिया की जीवन शैली पर बहुत  कम अध्यन किया  है। हलाकि उनके पास अपनी एक विकसित टोटमी सभ्यता है और मिथको का भंडार है जो उन्हें भौतिक सभ्यता से बचाकर रखता है। और उन्हें जीवनशक्ति देता है।  अगरिया लोग ,बैगाओं तथा अपने आसपास की आदतों को बराबरी से अपनाते है जो उनके जीवन शैली के अनुरूप होते है। इसका उल्लेख आपको द बैगा पुस्तक  जायगा। कभी तो यह भी कहा जाता है की अगरिया बैगा जनजाति के पूरक है।  बैगा किताब में नृत्य के अध्याय को मंडला के अगरियों के लिए भी यथावत लागू किया जा सकता है।  गोंड के लिए निर्धारित  किनशिप नियम ,वर्जनाय...

असुर asur asur wikipidia

असुर भाग -2 असुर भाग -1 का लिंक 👇👇👇👇👇दिया हैं जरूर पढ़े 👇👇👇👇👇👇👇👇👇 असुर भाग -1 का लिंक http://www.agariyajanjati.in/2021/04/asur-asur-wikipidia.html यह सत्य बात हैं की असुरो तथा लोहे के मध्य गहरा और करीबी सम्बन्ध नहीं रहा हैं परन्तु थोड़ा बहुत सम्बन्ध तो हैं ही ll श्री राय हमें बताते हैं की क़िस प्रकार मुंडा समुदाय के लिए प्राचीन भयानक लम्बे चौड़े असुरो को पुंडी या सफेद रंग के लोगो को भव्य, बालिष्ठ तथा चंचल बताया गया हैं l जो की सिर्फ एक रात मे लम्बे लम्बे डग भरकर सैकड़ो मील दूसरे गांव मे नृत्य मे भाग लेकर, सुबह होने से पहले वापस अपने घर लौट आते थे ll ऐसा कहा जाता हैं की वे ईंटो से बने बड़े भव्य मकानों मे रहा करते थे तथा अधिकांश समय ताम्बा या लोहा बनाने मे व्यस्त रहा करते थे और परंपरा यहाँ तक बतलाती हैं की वे लोहा खाते थे और अपनी तेज फूंक से आग आग प्रज्वलित कर लिया करते थे ll इस प्रकार लोहा खाने की शक्ति पहले अगरिया चारित्रिक विशेषता थी ll इस प्रकार आगयुक्त अनेको प्रकार के खाने तथा उनके विशर्जन की अनेको तथा किवदान्तियो मे वर्णित की गयी हैं ll इसके विपरीत ...

बर्थ डे विश करने एवं अन्य खुसियो को विश करने के लिए रात 12 बजे तक जागने की आवश्यकता नहीं है ,व्हाट्सप्प पर ऐसे शड्यूल कर सकते है(whatsapp trick)

बर्थ  डे विश करने एवं अन्य खुसियो को विश करने के लिए रात 12 बजे तक जागने की आवश्यकता नहीं है ,व्हाट्सप्प पर ऐसे शड्यूल कर सकते  है  यदि आप रात 12 बजे किसी को बिरथ डे विश करना चाहते है या कोई जरुरी मैसेज करना चाहते है तो आपको रात १२ बजे तक जागने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने व्हाट्सप्प पर मैसेज को शेड्यूल कर सकते है।   आइये जानते है। ........  व्हाट्सप्प वर्तमान समय में हमारे बहुत काम आता है ,परिवार ऑफिस ,दफ्तर से लेकर हर कार्य आज हम अपने व्हाट्सप्प पर कर  कर रहे है ये अप्प चैटिंग से कही ज्यादा आगे निकल गया है व्हाट्सप्प में वाइस काल ,विडिओ काल ,एवं पेमेंट भुगतान करना एवं प्राप्त करने की सुविधा प्राप्त होती है अक्सर हम अपने दोस्तों को या फिर रिश्तेदारों को जन्म दिवस की बधाई देने के लिए रात 12 बजे तक का इन्तजार करते है या जागते है। लेकिन आज हम आपको ऐसे तरीका बताने जा रहे है जिसके लिए आपको विश करने के लिए रात 12 बजे तक का इन्तजार नहीं करना पड़ेगा न ही जागना पड़ेगा। तो आइये जानते है इस ट्रिक के बारे में। .........  आप व्हाट्सप्प पर मैसेज को शेड्यूल कर सक...

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  असुर  भाग -१   समुद्र मंथन के प्रारम्भ से देवताओ व दानवो के मध्य लम्बे समय समय तक चले आ रहे घमासान युद्ध को महाभारत में बहुत सुन्दर तरीके से चित्रित किया गया है इस महाकाव्य में बहुत सुन्दर तरीके से बताया  गया है की किस प्रकार सर्प को रज्जु बनाकर तब तक समुद्र मंथन किया गया जब तक उसमे से मंथन के कारन अनेक शुभ सुन्दर उपयोगी वस्तु न निकल आये जिन्हे ललचाई दृष्टि से देवता लोग हड़प जाना चाहते थे। इस प्रक्रिया  और दानव एक दुसरे के सामने थे। चंद्र और अमृत घट  पाने के लिए देवताओ और दानवो के मध्य विकराल संग्राम हुआ। तभी भगवान् विष्णु ने मायावी रूप धार कर दानवो को भ्रमित कर दिया और दानव हताशा में देखते रहे की समुद्र से बहुमूल्य  निकलकर उनके पास से जा रही है। ऐसी बीच दानवो के मध्य असुर राहू ने अमृत घट की कुछ बूंदो का स्वाद पान कर लिया है और इसके पहले की वह उन बूंदो को गटक पाता ,नारायण ने उसकी गर्दन धड़  दी।   राहु का सर एक तेज ध्वनि के साथ आकाश मे उड़ गया और भीषण गर्जना के साथ उसका धड ज़मीन पर गिरा जिससे पृथ्वी के सारे जंगल और पहाड़ काँप उठे l परन्...