agariya janjati सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

लोहा लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अगरिया जोड़ो अभियान 2025 ज़िला अनूपपुर के ग्राम पयारी मे संपन्न हुआ ll

ज़िला अनूपपुर ब्लॉक पुष्पराजगढ़ के ग्राम पयारी मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक 15/06/2025 को ज़िला अनूपपुर ग्राम - पयारी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ मे ज़िला स्तरीय अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया उपस्थित हुए ll

लोहे के औजार

लोहे का प्रयोग आज आम बात हैं लोहे की चीजें हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं ll लोहे का प्रयोग लगभग 3000 साल पहले सुरु हुआ ll जहाँ ऐसा प्रमाण मिलता हैं की अगरिया आदिवासी द्वारा लौह अयस्क से लोहा प्रगलित किया जाता था और बड़े बड़े वैज्ञानिक जैसे एलविन आदि कई वैज्ञानिको ने इस बात की पुष्टि किये हैं ll अगरिया जनजाति द्वारा लोहे पर कार्य किये जाने के कारण लोहार कहा गया जो आज भी कही कही वही बात सुनने को मिलता हैं ll महापाषाण कब्रों मे लोहे के औजार और हथियार बड़ी संख्या मे पूर्व मे मिले हैं ll करीब 2500वर्ष पहले लोहे के औजारों के बढ़ते उपयोग का प्रमाण मिलता हैं ll इनमें जंगलो एवं लकड़ी की कटाई करने के लिए कुल्हाड़ी और जुताई के लिए हलों के फाल शामिल हैं ऐसा माना जाता हैं की लोहे के फाल से क़ृषि उत्पादन बढ़ गया ll क़ृषि उत्पादन मे लोहे का महत्व :- लोहे के उत्पादन या प्रगलन से लोहे के उपयोग से क़ृषि क्षेत्र मे बड़े परिवर्तन आये हल के फाल जब लोहे के बनने लगे तो कठोर ज़मीन को लकड़ी की फाल की तुलना मे लोहे के फाल से आसानी से जोता जा सकता था ll इससे फसलो की उपज बढ़ गयी ll दूसरे, लोगो ने धान के पौधों का...