ज़िला अनूपपुर ब्लॉक पुष्पराजगढ़ के ग्राम पयारी मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक 15/06/2025 को ज़िला अनूपपुर ग्राम - पयारी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ मे ज़िला स्तरीय अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया उपस्थित हुए ll
अगरिया जनजाति के लोग पारंपरिक तरीके से लोहा गलाने की प्रक्रिया को "लौह प्रगलक" कहते हैं। यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है: 1. लोहे की खदान से लोहे का अयस्क निकालना। 2. अयस्क को छोटे टुकड़ों में तोड़ना। 3. टुकड़ों को भट्ठे में रखकर आग लगाना। 4. आग को धीरे-धीरे बढ़ाना ताकि लोहा पिघल जाए। 5. पिघले हुए लोहे को मोल्ड में डालना। 6. लोहे को ठंडा होने देना। 7. ठंडे हुए लोहे को आकार देना. अगरिया जनजाति के लोग इस प्रक्रिया में विशेषज्ञ हैं और वे अपने पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाला लोहा बनाते हैं। लौह प्रगलक (Iron Smelting) एक पारंपरिक कौशल है जो अगरिया जनजाति द्वारा भारत में पीढ़ियों से चलाया जा रहा है। अगरिया जनजाति मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में पाई जाती है। अगरिया जनजाति के लोग लौह प्रगलक में महारत रखते हैं और वे पारंपरिक तरीकों से लोहे को पिघलाकर उसे विभिन्न आकारों में ढालते हैं। यह कौशल उन्हें अपनी आजीविका चलाने में मदद करता है और साथ ही साथ उनकी संस्कृति को भी बचाए रखने में मदद करता है। भारत फाउंडेशन जैसे संगठन ...