आज दिनांक 31/07/2025 को ज़िला अनूपपुर की ओर से फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया एवं साथी मिलकर ज़िला कलेक्टर ऑफिस मे माननीय राष्ट्रपति महोदया भारत, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग मंत्रालय भारत सरकार, अनुसूचित जनजाति आयोग मध्यप्रदेश, प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शाशन आदिम जाती अनुसन्धान एवं विकास संस्थान मध्यप्रदेश एवं माननीय मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के नाम ज्ञापन सौपे ll ज्ञापन मे फाउंडेशन द्वारा मुख्यतः दो मांगो का उल्लेख किया गया है जिसमे से पहला :- (1)ज्ञापन मे अगरिया जनजाति समाज की मांग अगरिया जनजाति समाज को विशेष पिछड़ी जनजाति (PVTG) मे शामिल किये जाने को लेकर रहा है ll अगरिया जनजाति समाज के लोगो का कहना है अगरिया जनजाति समाज शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी एवं सामाजिक रहन सहन मे बहुत ज्यादा पिछड़ा समाज का इस समाज की स्थिति बहुत ही दयनीय है समाज मे ना तो लोग सरकारी नौकरी मे है, ना ही समाज मे शिक्षा है, ना ही समाज मे अच्छे व्यावसायिक है और ना ही इस समाज का सामाजिक रहन सहन बेहतर है ll मध्यप्रदेश मे आदिवासी समाज को यदि देखा जाए तो आज सभी समाज जिनको PVTG का दर्जा प...
अगरिया जनजाति के पूर्व जनगणना आधारित कुछ आंकड़े वर्ष १८८१ में पूरे भारत वर्ष में अगरियो की संख्या 210918 मिली थी जिसमे सिर्फ 22957 मध्य प्रान्त में ही थे। निश्चित रूप से वे खेती करनेवाले अघरिया समुदायों के साथ भ्रमित हो गए। वर्ष 1891 में जब मध्यप्रांत में जनगणना कमिश्नर सर बेंजामिन राबर्टसन थे तो अगरियों की तीन वर्ग में गणना की गयी थी। गोंड आदिवाशियों के अंतर्गत अगरिया =0326 लोहार अगरिया =2380 लोहा बनाने वाले अगरिया =2470 अगर इन आंकड़ों की बात करे तो 414 गोंडी अगरिया तथा लोहा गलाने वाले अन्य 242 की संख्या को भी जोड़ा जाना चाहिए। वर्ष 1891 पूरे प्रदेश में (सेन्ट्रल प्रोविंस ) में जहा कुल 84112 लोहार थे उसमे से 3070 व्यक्तियों को लोहा गलाने व बनाने के धंधे में लगा हुआ बतलाया गया था। सागर ,जबलपुर तथा दमोह जिलों में कोंडा गोंड (१२७४) अगरिया और कही कही गोंड भी पाए जाते है। लोहार जाती में एक उपवर्ग था जो अगरिया कहलाता था जो मुख्य रूप से जबलपुर में पाए जाते थे। तथा सतपुड़ा जिलों में गोंडी लोहारो संख्या 4679 थी। ये द...