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नवोदय विद्यालय मे 2026-27 मे कक्षा 9 मे प्रवेश हेतु फार्म भरना सुरु हो चुका है ll

9th me प्रवेश हेतु नवोदय की वेबसाइट सत्र 2026-27 मे जो बच्चे कक्षा 9 मे नवोदय विद्यालय मे प्रवेश लेना चाहते है उनके लिए खुसखबरी है की 9th प्रवेश हेतु ऑनलाइन आवेदन भरना सुरु हो चुका है ll इसलिए बिना देर किये जल्द से जल्द नवोदय विद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भरे ll आवेदन कौन भर सकता है :- आवेदन भरने के लिए 2025-26 मे कक्षा 8 का छात्र होना आवश्यक है और आप जिस राज्य और जिले से होंगे आपको आवेदन भरने के दौरान वही राज्य और ज़िला चुनना होगा ll आवेदन भरने के लिए जरुरी दस्तावेज क्या लगेगा :- आवेदन भरने के लिए कोई खास दस्तावेज नहीं लगना है केवल छात्र की फोटो,  छात्र का हस्ताक्षर, एवं पिता या माता का पालक का हस्ताक्षर लेकर आप नवोदय विद्यालय के कक्षा 9 मे सत्र 2026-27 मे प्रवेश हेतु आवेदन कर सकते है ll आवेदन भरने की अंतिम तिथि क्या है :- नवोदय विद्यालय कक्षा 9 मे 2026-27 मे प्रवेश हेतु अंतिम तिथि 23 सितम्बर 2025 निर्धारित किया गया है ll निर्धारित तिथि तक आवेदन किया जा सकता है ll  आवेदन भरने के उपरांत चयन की प्रक्रिया क्या होगी :-  आवेदन भरने के उपरांत...

मध्यप्रदेश मे अगरिया जनजाति का अस्तित्व

मध्यप्रदेश में अगरिया जनजाति के अस्तित्व के बारे में जानकारी: 1. परिचय: अगरिया जनजाति भारत के पारंपरिक आदिवासी समुदायों में से एक है, जो मुख्यतः मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पाई जाती है। यह जनजाति ऐतिहासिक रूप से लोहा गलाने (Iron Smelting) की पारंपरिक कला के लिए जानी जाती है। 2. मध्यप्रदेश में उपस्थिति: अगरिया जनजाति मुख्य रूप से सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और डिंडोरी जिलों में पाई जाती है। यह जनजाति विशेषकर वनवासी क्षेत्रों में रहती है और पारंपरिक जीवनशैली अपनाए हुए है। 3. पारंपरिक पहचान: अगरिया लोग पारंपरिक रूप से लोहे को गलाकर औजार, खेती के उपकरण और हथियार बनाते थे। यह कार्य वे कोठी भट्ठी और धौकनी की मदद से करते थे। इनकी यह पारंपरिक तकनीक पूरी तरह स्वदेशी और पर्यावरण के अनुकूल थी। 4. सामाजिक और आर्थिक स्थिति: आज अगरिया जनजाति आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई मानी जाती है। इनकी पारंपरिक धंधा (लोहा गलाना) अब लगभग विलुप्त हो चुका है, क्योंकि आधुनिक तकनीक और औद्योगीकरण ने इसे प्रतिस्थापित कर दिया। आजकल यह समुदाय खेती, मजदूरी, वनोपज संग्रहण जैसे कार्यों मे...

अगरिया समुदाय

अगरिया आदिवासी के बारे मे ll 👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽 यह तस्वीर अगरिया समुदाय के पारम्परिक तरीके से लोहा गलाने की प्रक्रिया को दर्शाती है। इसमें एक मिट्टी और पत्थर से बना भट्ठा है, जिसमें जलता हुआ कोयला और चमकता हुआ पिघला हुआ लोहा दिखाई दे रहा है। चार लोग इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं—एक महिला धौंकनी (bellows) चला रही है, एक व्यक्ति पिघले हुए लोहे को छड़ से नियंत्रित कर रहा है, और अन्य लोग प्रक्रिया को देख रहे हैं। उनके कपड़े पारंपरिक और रंगीन हैं, जो ग्रामीण परिवेश को जीवंत बनाते हैं। अगरिया जनजाति का इतिहास यही है जो पूर्व काल मे जंगल मे निवास करते करते अपने जीवन यापन के लिए लौह अयस्क (लौह पत्थर) से अपने पारम्परिक पद्धति से कोठी और भट्ठी से लोहा बनाया ll इस दुनिया मे सबसे पहले लोहा बनाने की संस्कृति को जन्म देने वाली जनजाति अगरिया जनजाति है ll आज इस संस्कृति को अपना कर कई कंपनी लोहा का उत्पादन कर रहे है ll अगरिया जनजाति आज के इस आधुनिक समाज मे भी एक पिछड़ा हुआ आदिवासी समाज है ll मध्यप्रदेश शासन एवं भारत सरकार को अगरिया जनजाति समाज को बेहतर स्थिति मे लाने के ल...