लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे ज़िला इकी गढ़वा झारखंड के कार्यकर्ता साथियों ने अगरिया जनजाति समाज की समस्याओ को लेकर सौपे ज्ञापन ll 👇 दिनांक 08/12/2025 को ज़िला - गढ़वा झारखंड के कार्यकर्त्ता स्वजातीय बंधुओ ने ज़िला ज़िला कलेक्टर को अगरिया जनजाति समाज को विशेष पिछड़ी जनजाति मे शामिल किये जाने को लेकर ज्ञापन सौपे ll गढ़वा जिलाध्यक्ष श्री शिवशंकर अगरिया जी ने बताया की अगरिया समाज हमारा अत्यंत पिछड़ा हुआ समाज है इस समाज का रहन सहन अत्यंत न्यून है, समाज मे शिक्षा का स्तर शून्य है, इस समाज के लोग ना तो नौकरी मे है ना ही व्यावसायिक है ll अगरिया जनजाति समाज के स्तर को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार एवं राज्य सरकार को ध्यान देना पड़ेगा तभी ये समाज अन्य समाजो की तरह बेहतर हो सकेगा ll शिक्षा, नौकरी मे विशेष आरक्षण की आवश्यकता है ll ज्ञापन सौपने गढ़वा जिलाध्यक्ष श्री शिवशंकर अगरिया जी, उपाध्यक्ष श्री संजय अगरिया जी, अमरनाथ अगरिया जी सहित कई स्वजातीय बंधु ने अपनी भूमिका निभाई ll... #
यह अगरिया समुदाय की पारंपरिक लोहे गलाने और धातु कार्य की प्रक्रिया को और विस्तार से दिखाता है। इसमें चार लोग अलग-अलग काम कर रहे हैं: बाईं ओर: एक व्यक्ति धौंकनी (bellows) चला रहा है, जिससे भट्टी में हवा जा रही है और आग की तीव्रता बढ़ रही है। बीच में: मिट्टी और पत्थर की बनी भट्टी में आग जल रही है, और एक व्यक्ति लोहे के अयस्क और कोयले को हिला रहा है ताकि धातु अच्छे से पिघल सके। दाईं ओर: एक महिला प्रक्रिया की निगरानी कर रही है, पारंपरिक परिधान में खड़ी है। सबसे दाईं ओर: एक व्यक्ति गरम लोहे को हथौड़े से आकार दे रहा है, जिससे औजार या अन्य वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं। इस चित्रण में पारंपरिक तरीके से लोहा बनाने की पूरी प्रक्रिया को खूबसूरती से दर्शाया गया है।