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लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक

दशरथ प्रसाद अगरिया निवास ज़िला - अनूपपुर  राज्य - मध्यप्रदेश 

रायगढ़ छ. ग मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम 2025 सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे ll

लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे ज़िला रायगढ़ के ग्राम - सराई पाली मे दिनांक - 20/04/2025 को अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम फाउंडेशन का एक बहुत ही अहम और मुख्य अभियान है जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण भारत मे अगरिया जनजाति समाज को संगठित करना एवं समाज के सम्पूर्ण उत्थान एवं विकास मे फाउंडेशन द्वारा चलाये जा रहे मुहीम से अगरिया जनसमुदाय अवगत कराना है ll  कार्यक्रम का आयोजन  ज़िला इकाई रायगढ़ समिति ज़िलाध्यक्ष श्री उबरन अगरिया जी एवं पूरी ज़िला टीम के सफल प्रयास से संभव हुआ ll 

अपने समाज को आगे बढ़ाने के लिए क्या करें

समाज को जागरूक करने के लिए आपको कुछ प्रभावी कदम उठाने होंगे, जो आपके क्षेत्र, संसाधनों और रुचि पर निर्भर कर सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं: 1 . शिक्षा और जागरूकता अभियान गरीब और अशिक्षित लोगों को शिक्षा देने में योगदान दें। बालिका शिक्षा को बढ़ावा दें। डिजिटल साक्षरता पर कार्य करें ताकि लोग इंटरनेट और तकनीक का सही उपयोग कर सकें। 2. सामाजिक मुद्दों पर संवाद और चर्चाएँ करें महिलाओं के अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लोगों को शिक्षित करें। स्थानीय सभाएँ, सेमिनार, या सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चलाएँ। 3. सामाजिक सेवाओं में भाग लें रक्तदान शिविर, स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण, और गरीबों को सहायता देने जैसे कार्य करें। किसी गैर-लाभकारी संगठन (NGO) के साथ जुड़ें। 4. युवाओं को प्रेरित करें युवाओं को समाज सुधार के लिए सक्रिय करें। रोजगार, स्किल डेवलपमेंट और नैतिकता पर कार्यशालाएँ आयोजित करें। 5. भ्रष्टाचार और अन्य बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाएँ भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा, बाल विवाह, नशाखोरी आदि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागरूक...

समाज सेवा का मूल मंत्र क्या है

समाज सेवा के मूल मंत्र वे सिद्धांत या मार्गदर्शक विचार होते हैं, जो निःस्वार्थ भाव से समाज की भलाई के लिए कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। समाज सेवा के कुछ प्रमुख मूल मंत्र इस प्रकार हैं: 1. निःस्वार्थ सेवा – सेवा का उद्देश्य स्वार्थ या लाभ नहीं, बल्कि दूसरों की भलाई होनी चाहिए। 2. समानता और समरसता – जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी की सेवा करना। 3. करुणा और संवेदनशीलता – जरूरतमंदों की पीड़ा को समझना और उनके कल्याण के लिए कार्य करना। 4. परस्पर सहयोग – समाज में एक-दूसरे का सहयोग करना और सामूहिक विकास के लिए काम करना। 5. स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण – समाज और प्रकृति की स्वच्छता बनाए रखना और पर्यावरण की रक्षा करना। 6. शिक्षा और जागरूकता – समाज को शिक्षित और जागरूक बनाना ताकि वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकें। 7. ईमानदारी और पारदर्शिता – समाज सेवा में पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता बनाए रखना। 8. स्वयं का परिश्रम और त्याग – सेवा के लिए खुद आगे बढ़कर मेहनत करना और अपने सुख-सुविधाओं का त्याग करने की भावना रखना। 9. नैतिकता और सद्भावना – नैतिक मूल्यों...