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PVTG मे शामिल किये जाने को लेकर अनूपपुर के अगरिया समाज ने आवेदन दिया कलेक्टर कार्यालय मे ll

आज दिनांक 31/07/2025 को ज़िला अनूपपुर की ओर से फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया एवं साथी मिलकर ज़िला कलेक्टर ऑफिस मे  माननीय राष्ट्रपति महोदया भारत, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग मंत्रालय भारत सरकार, अनुसूचित जनजाति आयोग मध्यप्रदेश, प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शाशन आदिम जाती अनुसन्धान एवं विकास संस्थान मध्यप्रदेश एवं माननीय मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के नाम ज्ञापन सौपे ll  ज्ञापन मे फाउंडेशन द्वारा मुख्यतः दो मांगो का उल्लेख किया गया है जिसमे से पहला :-  (1)ज्ञापन मे अगरिया जनजाति समाज की मांग अगरिया जनजाति समाज को विशेष पिछड़ी जनजाति (PVTG) मे शामिल किये जाने को लेकर रहा है ll अगरिया जनजाति समाज के लोगो का कहना है अगरिया जनजाति समाज शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी एवं सामाजिक रहन सहन मे बहुत ज्यादा पिछड़ा समाज का इस समाज की स्थिति बहुत ही दयनीय है समाज मे ना तो लोग सरकारी नौकरी मे है, ना ही समाज मे शिक्षा है, ना ही समाज मे अच्छे व्यावसायिक है और ना ही इस समाज का सामाजिक रहन सहन बेहतर है ll मध्यप्रदेश मे आदिवासी समाज को यदि देखा जाए तो आज सभी समाज जिनको PVTG का दर्जा प...

ज़िला कोरिया छ्ग ग्राम - बर्दिया मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम 2025 सम्पन्न लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे

ज़िला इकाई कोरिया छत्तीसगढ़ मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम 2025 लौह  प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक - 01/06/2025 दिन रविवार को 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 दिनांक 01/06/2025 को ज़िला कोरिया छत्तीसगढ़ के ग्राम - बर्दिया मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सत्र -2025 का संपन्न हुआ ll अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष फाउंडेशन से जुड़े सभी जिलों मे माह - मार्च से अप्रैल माह मे संपन्न होता है, लेकिन यदि किन्ही कारण वश कोई ज़िला इस कार्यक्रम को निर्धारित माहऐ सम्पन्न नहीं करा पाता है तो उसे ज़िला वासी मई -जून माह मे भी सम्पन्न करा सकते है ll फाउंडेशन संस्थापक / मैनेजिंग डायरेक्टर DASHRATH PRASAD AGARIYA  जी का कहना है अगरिया जोड़ो अभियान कार्यक्रम लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुहीम आंदोलन है जिसका उद्देश्य जिलों जिलों के अगरिया जनजाति समाज को लौह

सीधी मध्यप्रदेश के ग्राम सोनगढ़ मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान संपन्न हुआ दिनांक 31/03/2025 को ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन

लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का प्रमुख कार्यक्रम अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम जो फाउंडेशन से जुड़े लगभग सभी राज्यों के जिलों मे प्रति वर्ष माह मार्च - अप्रैल मे संपन्न होता है ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन की ओर से प्रत्येक जिले के नोडल कार्यकर्ता अधिकारी नियुक्त किये जाते है जो जिलों मे उपस्थित होकर कार्यक्रम को सम्पन्न कराते है ll नियुक्त नोडल द्वारा फाउंडेशन के एजेंडा को विश्लेषण करते हुए उपस्थित सामाजिक स्वजातीय बंधुओ को विधिवत समझाया जाता है और कार्यक्रम के अंत मे उपस्थित स्वजातीय बंधुओ को शपथ ग्रहण करवाया जाता है ll  अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य अगरिया जनजाति जो की आज के इस आधुनिक परिवेश मे भी शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी, सामाजिक रहन सहन मे पिछड़ी जनजाति है जिसके स्तर मे सामाजिक जागरूकता के लिए इस कार्यक्रम को आयोजित कराया जाता है जिससे इस समाज मे जागरूकता आ सके और समाज सशक्त हो सके ll ज़िला सीधी के ग्राम सोनगढ़ मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का आयोजन  दिनांक 31/03/2025 को हुआ ll जहाँ ज़िला सीधी के लिए नियुक्त नोडल...

ज़िला सिंगरौली (म.प्र) मे दिनांक 23/03/2025 को अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम संपन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन

दिनांक 23/03/2025 को ज़िला सिंगरौली मध्यप्रदेश के ग्राम भड़सेरा मे लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के मार्गदर्शन मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम संपन्न हुआ ll कार्यक्रम की शुरुआत अगरिया जनजाति के इष्ट देव लोहासुर देवता के पूजन के साथ हुआ ll अगरिया जोड़ो अभियान कार्यक्रम ज़िला सिंगरौली के नोडल महोदय एवं आये सभी स्वजातीय बंधुओ एवं फाउंडेशन कार्यकर्ताओ का फूल माला पहना कर स्वागत किया गया ll कार्यक्रम मे फाउंडेशन के फाउंडर श्री दशरथ प्रसाद अगरिया पहुचे ll दशरथ प्रसाद अगरिया जी के द्वारा जिला सिंगरौली को सम्बोधित करते हुए बताया गया की अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य सम्पूर्ण भारत अंतर्गत अगरिया जनजाति समाज को संगठित करना, अगरिया जनजाति समाज का संरक्षण, अगरिया आदिवासी समाज की संस्कृति (लौह अयस्क से लोहा का निर्माण पारम्परिक तकनीक से ) एवं फाउंडेशन द्वारा समाज के उत्थान विकास मे चलाये जा रहे गतिविधि से अवगत कराना एवं संगठन से समाज को जोड़ना है ll  बताया गया की अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन ...

सीधी ज़िला के अगरिया आदिवासी समाज के लोगो ने अगरिया समाज को विशेष पिछड़ी जनजाति (PVTG) मे शामिल किये जाने को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एवं माननीय राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन ज़िला कलेक्टर को सौपे

वर्तमान मे बिगत कई सालो से मध्यप्रदेश के अगरिया आदिवासी सामुदाय के लोग अपने अस्तित्व और अपने समाज को एक बेहतर सशक्त शिक्षित समाज बनाने के लिए काफी प्रयास कर रहे है ll अगरिया आदिवासी सामुदाय भारत के जाती के कालम क्रमांक 1 मे आता है ll यदि अगरिया जनजाति समाज का इतिहास देखा जाय तो अगरिया आदिवासी सामुदाय बहुत ही प्राचीन जनजाति समुदाय है ये समुदाय जंगलो पहाड़ो मे निवास करते थे जहाँ उन्होंने लौह अयस्क की पहचान किया और अपने पारम्परिक पद्धति तकनीक से लौह अयस्क को अपने परंपरागत भट्ठी मे गलाकार सर्वप्रथम लोहा बनाया ll लोहा बनाने की संस्कृति को जन्म को देने वाली जनजाति अगरिया जनजाति है ll ये समुदाय आज भी गाँव गाँव मे लोहा के औजार, क़ृषि उपयोगी सामग्री बनाकर जीवन यापन कर रहे है ll सीधी ज़िला के अगरिया समुदाय के लोग अमरशाह अगरिया, अजय अगरिया, राजकुमार अगरिया जी से बात करने पर बताया गया की ये समाज बहुत ही पिछड़ा समाज है इस समाज का रहन सहन बहुत ही पिछड़ा है, समाज मे शिक्षा का स्तर अति न्यून है, नौकरी नहीं है, समाज व्यावसायिक रूप से कमजोर है ll इस समाज को एक बेहतर सशक्त समाज बनाने क...

अगरिया जनजाति लोहा कैसे गलाते है

यह अगरिया समुदाय की पारंपरिक लोहे गलाने और धातु कार्य की प्रक्रिया को और विस्तार से दिखाता है। इसमें चार लोग अलग-अलग काम कर रहे हैं: बाईं ओर: एक व्यक्ति धौंकनी (bellows) चला रहा है, जिससे भट्टी में हवा जा रही है और आग की तीव्रता बढ़ रही है। बीच में: मिट्टी और पत्थर की बनी भट्टी में आग जल रही है, और एक व्यक्ति लोहे के अयस्क और कोयले को हिला रहा है ताकि धातु अच्छे से पिघल सके। दाईं ओर: एक महिला प्रक्रिया की निगरानी कर रही है, पारंपरिक परिधान में खड़ी है। सबसे दाईं ओर: एक व्यक्ति गरम लोहे को हथौड़े से आकार दे रहा है, जिससे औजार या अन्य वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं। इस चित्रण में पारंपरिक तरीके से लोहा बनाने की पूरी प्रक्रिया को खूबसूरती से दर्शाया गया है। 

अगरिया सामुदाय लोहा कैसे बनाते है

अगरिया समुदाय पारंपरिक रूप से आदिवासी कारीगर होते हैं, जो पारंपरिक तरीके से लोहा बनाने और धातु से विभिन्न उपकरण तैयार करने में माहिर होते हैं। यह समुदाय मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। अगरिया समुदाय द्वारा लोहा बनाने की पारंपरिक प्रक्रिया: 1. कच्चे अयस्क (कच्चा लोहा) का संग्रह : अगरिया लोग जंगलों और पहाड़ियों में पाए जाने वाले लौह अयस्क (Iron Ore) को इकट्ठा करते हैं। यह अयस्क अक्सर लाल मिट्टी या पत्थर के रूप में होता है, जिसमें लोहा मिला होता है। 2. भट्टी (चुल्हा) तैयार करना: पारंपरिक भट्टियों को ‘घुट्टी भट्टी’ या ‘अंगीठी भट्टी’ कहा जाता है। यह भट्टियां मिट्टी और पत्थर से बनाई जाती हैं और इनमें लकड़ी का कोयला (चारकोल) जलाया जाता है। 3. अयस्क को गर्म करना: भट्टी में अयस्क और लकड़ी का कोयला डाला जाता है। इसे बहुत अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे अयस्क से अशुद्धियाँ जल जाती हैं। इसमें हाथ से चलने वाले धौंकनी (फूंकनी) का उपयोग किया जाता है, जिससे आग की तीव्रता बढ़ती है। 4. कच्चे लोहा (स्पंज आयरन) का निर्माण: जब अयस्क गर्म ...