जिला शक्ति छ.ग (देवरी) पहुचे अगरिया समाज लौ. प्र.फाउंडेशन के डायरेक्टर रामखिलावन अगरिया और उनकी टीम ll सामाजिक सम्पर्क कार्यक्रम किये ll सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जोड़ो अभियान 2025 ज़िला अनूपपुर के ग्राम पयारी मे संपन्न हुआ ll

ज़िला अनूपपुर ब्लॉक पुष्पराजगढ़ के ग्राम पयारी मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक 15/06/2025 को ज़िला अनूपपुर ग्राम - पयारी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ मे ज़िला स्तरीय अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया उपस्थित हुए ll

जिला शक्ति छ.ग (देवरी) पहुचे अगरिया समाज लौ. प्र.फाउंडेशन के डायरेक्टर रामखिलावन अगरिया और उनकी टीम ll सामाजिक सम्पर्क कार्यक्रम किये ll

 नये वर्ष 2024 की नये उमंग के साथ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के कार्यकर्ताओ मे अलग ही उमंग जोश देखने को मिल रहा हैं पूरे रणनीति योजनाबद्ध तरीके से समाज को जागरूक करना एवं फाउंडेशन मे निष्क्रिय पड़े जिले जो पूर्व से फाउंडेशन के हिस्सा रहे हैं उनको पुनः जागरूक कर रहे हैं कार्यकर्त्ता ll जी हां आपको बता दे दिनांक 07/01/2024 को लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के डायरेक्टर श्री रामखिलावन अगरिया जी एवं कोरबा जिला के भावी अध्यक्ष दुबराज अगरिया जी, राकेश अगरिया एवं उनकी पूरी टीम जिला शक्ति छ.ग के देवरी ग्राम मे पहुचे वहां लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के चलाये जा रहे मुहीम से कार्यकर्ताओ को अवगत कराते हुए फाउंडेशन मे एक्टिव (सक्रिय) होकर भागीदारी सुनिश्चित करने को कहाँ गया ll जिला शक्ति छत्तीसगढ़ से फाउंडेशन की प्रतिनिधित्व कर रही श्री मति सुनीता अगरिया जी को फाउंडेशन के द्वारा चलाये जा रहे गतिविधियों पे चर्चा करते हुए भागीदारी निभाने को कहा गया ll फाउंडेशन द्वारा चलाये जा रहे अगरिया जनजाति संरक्षण पर जानकारी दिए और जिला के टीम के साथ जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर फाउंडेशन की ओर से ज्ञापन सौपने को बताया गया जिसमे सुनीता अगरिया जी भागीदारी निभाने की बात कहे ll इसके साथ ही समाज के उत्थान विकास मे जिला शक्ति से प्रति माह फाउंडेशन को कमाई का छोटा सा अंश दान करने को कहा गाया ll बताया गया की इस दान से समाज के उन सभी को सहयोग किया जाता हैं जिनको इसकी जरुरत हैं -जैसे समाज मे बच्चों को शिक्षा के लिए फीस कॉपी, पुस्तक, बस्ता, टूशन, समाज मे कार्यकर्ताओ के घर दशगात्र मे सहयोग, इलाज मे सहयोग, जैसे समाज के हर परेशानी मे सहयोग प्रदान किया जाता हैं जिसके लिए फाउंडेशन को अपनी कमाई का छोटा सा अंश प्रतिमाह दान करने को बताया गया ll वहां उपस्थित लोगो को जानकारी दिया गया की अगरिया जनजाति का संरक्षण, अगरिया जनजाति की विलुप्त होती हुयी संस्कृति का संरक्षण हमारा उद्देश्य कर्तव्य हैंll हम सबको मिलकर समाज के स्तर को बेहतर बनाने एवं सम्पूर्ण भारत स्तर पर अगरिया जनजाति समाज का एक संगठित मंच लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे तैयार करना होगा और समाज की सभी समस्याओ का हल एक ही मंच से निकालना होगा जिससे समाज मे विकास होगा ll कार्यक्रम का संचालन कोरबा के भावी जिलाध्यक्ष दुबराज अगरिया जी द्वारा किया गया ll एवं राकेश अगरिया जी कोरबा ने कार्यक्रम संचालन मे भागीदारी निभाए तथा फाउंडेशन की जानकारी रामखिलावन अगरिया फाउंडेशन डायरेक्टर द्वारा दिया गया ll
फाउंडेशन मैनेजिंग डायरेक्टर सभी को धन्यवाद अर्पित किये - संस्था मैनेजिंग डायरेक्टर दशरथ अगरिया जी जिला शक्ति देवरी ग्राम पहुचे सभी कार्यकर्त्ताओ को आभार प्रकट किये ll बोले की आप के समाज के प्रति निष्ठा और लगन को सम्पूर्ण समाज नमन करता हैं आप के ऐसे सामाजिक कार्यो को समाज अवश्य याद रखेगा ll उन्होंने जिला शक्ति छत्तीसगढ़ से प्रतिनिधित्व कर रही श्री मति सुनीता अगरिया जी को भी धन्यवाद बोले और कहे की आज इस समाज को हम सभी की जरुरत हैं सभी को आवश्यकता पड़ने पर साथ खड़ा होकर समाज के विकास मे धन, समय, विचार, और साथ देना होगा ll उन्होंने का की आगामी आने वाले दिनों मे जिला शक्ति छत्तीसगढ़ से बेहतर प्रतिनिधित्व होगा ll
यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत की गतिविधि को देखने के लिए यू ट्यूब पर सर्च करें "agariya samaj sangathan bharat"  और चैनल को सब्सक्राइब करके जुड़े ll
फेसबुक पर अगरिया समाज संगठन भारत की गतिविधि को देखने के लिए फेसबुक पर सर्च करें "अगरिया समाज संगठन भारत " और पेज को फॉलो करें ll

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए ...

मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी

  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी  1 -अगरिया जनजाति की मध्य प्रदेश में जनसँख्या-  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति की जनसँख्या लगभग 41243 है जो प्रदेश की कुल जनसँख्या का 0.057  प्रतिशत है।   2 -अगरिया निवास क्षेत्र -अगरिया वैसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में पाए जाते है पर मुख्यतः अधिक संख्या में अनूपपुर ,शहडोल उमरिया ,कटनी ,मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,सिंगरौली में मुख्यतः पाए जाते है।  3 -अगरिया गोत्र -अगरिया जनजाति में कुल 89 गोत्र पाए जाते है। (सम्पूर्ण गोत्र की जानकारी के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करे और विडिओ देखे )(विडिओ देखने के लिए लिंक पर क्लीक करे - https://youtu.be/D5RSMaLql1M   )जिनमे से कुछ  प्रमुख गोत्र है सोनवानी ,अहिंद ,धुर्वे ,मरकाम ,टेकाम ,चिरई ,नाग ,तिलाम ,उइके,बघेल  आदि है प्रत्येक गोत्र में टोटम पाए जाते है। एवं अगरिया जनजाति का प्रत्येक गोत्र प्राकृतिक से लिया गया है अर्थात पेड़ पौधे ,जीव जंतु से ही लिया गया है। उदाहरण के लिए जैसे बघेल गोत्र बाघ से लिया गया है।  4-...

अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति (Origin of Agariya tribal community: -)

  अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति :- कोरबा के अगरिया 👇👇👇👇👇  अब हम एक महत्वपूर्ण और कठिन समस्या की और ध्यान देते है की वास्तव में ये अगरिया कौन है क्या  ही आदिवासी है ,क्या वैसे आदिवासी है जैसे होने चाहिए ,अपने आप में जो पहले ही अस्त्तिव में आ गए थे।  संभवतः लोहे की खोज या जानकारी के समय या सेन्ट्रल प्राविन्स में लोहे  की जानकारी प्राप्त होने के समय ,अथवा क्या वे साधारण तौर पर अनेक विभिन्न आदिवासी समूहों के सदस्यों का जमावड़ा है ,जिन्होंने लोहा गलाने का काम चुन लिया है. क्या डिंडोरी मंडला अनूपपुर शहडोल सीधी  सिंगरौली के अगरिया वही अगरिया है जो गोंडो की एक शाखा है जिन्होंने लोहे का काम करना शुरू कर दिया है।  और इसलिए धीरे धीरे वे एक विशेष समुदाय के रूप में अलग हो गए है। बिलासपुर के चोख अगरिया कोरबा उपजाति से बहुत मिलते जुलते है ,क्या वे कोरबा छत्तीसगढ़ जनजाति का ही एक अलग वर्ग है जिन्होंने लोहा गलाने का काम सुरु कर  दिया है।  हम भारत के कुछ अन्य जगह के समस्याओं को रख कर बात कर सकते है। रिसले ने बताया है की बिहार तथा पशिचम बंगाल के  लो...