फाउंडेशन का चौथा स्थापना दिवस बड़े धूम धाम से मनाया गया पूरे भारत मे 15 नवम्बर 2023 ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जोड़ो अभियान 2025 ज़िला अनूपपुर के ग्राम पयारी मे संपन्न हुआ ll

ज़िला अनूपपुर ब्लॉक पुष्पराजगढ़ के ग्राम पयारी मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक 15/06/2025 को ज़िला अनूपपुर ग्राम - पयारी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ मे ज़िला स्तरीय अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया उपस्थित हुए ll

फाउंडेशन का चौथा स्थापना दिवस बड़े धूम धाम से मनाया गया पूरे भारत मे 15 नवम्बर 2023 ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन

लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का चौथा स्थापना दिवस बड़े धूम धाम से अगरिया जनजाति गौरव दिवस के रूप मे 15 नवंबर 2023 को मनाया गया ll आइये जानते है क्या क्या तैयारी की गयी कैसे मनाया गया फाउंडेशन का चौथा स्थापना दिवस ll
संस्था मैनेजिंग डायरेक्टर दशरथ अगरिया द्वारा बताया गया की प्रत्येक वर्ष फाउंडेशन का स्थापना दिवस फाउंडेशन के उत्पत्ति स्थल कोतमा अनूपपुर मध्यप्रदेश मे मनाया जाता था लेकिन इस वर्ष मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ ऐसे कई राज्यों मे चुनाव आचार संहिता लागू होने से बड़े आयोजन करना मुश्किल था जिससे फाउंडेशन की ओर से निर्णय लिया गया की इस स्थापना दिवस कार्यक्रम को दिनांक 15/11/2023 को सम्पूर्ण भारत अंतर्गत सभी राज्यों के प्रत्येक जिले मे मनाया जायेगा ll और बड़े ही धूम धाम से सभी जिलों मे कार्यक्रम को मनाया गया ll
सभी जिलों मे 15 /11/2023 को स्थापना दिवस को बड़े ही धूम धाम से मनाया गया जिलों मे मीटिंग का आयोजन किया गया जिलों से समस्त माताओ बहनो को कार्यक्रम मे आमंत्रित किया गया कार्यक्रम मे लोहासुर पूजन अगरिया जनजाति के इष्ट देव लोहासुर की संस्कृति कोठी भट्ठी लोहा गलाते हुए प्रतिमा पर फूल माला अर्पित करते हुए पूजन किया गया ll एवं पूजन के दौरान लोहासुर मंत्र का उच्चारण किया गया ll एवं कार्यक्रम मे फाउंडेशन के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी उपस्थित स्वजातीय बंधुओ को प्रदान किया गयाll जैसे फाउंडेशन का उत्पत्ति स्थल, फाउंडेशन का उद्देश्य, फाउंडेशन सफल कैसे होगा, फाउंडेशन की समाज से अपेक्षा क्या है, समाज कैसे संगठित होगा, फाउंडेशन को लक्ष्य कैसे मिलेगा सम्पूर्ण जानकारी सभी जिलों मे कार्यक्रम के आयोजन के दौरान दिया गया इसके पश्चात् अंतिम मे उपस्थित समस्त स्वजातीय बंधुओ को फाउंडेशन की ओर से शपथ ग्रहण कराया गया ll उक्त कार्यक्रम की सारी गतिविधिया फाउंडेशन की ओर से पहले ही जिलों के लिए निर्धारित किये गए थे ll कई जिलों मे फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस के नाम का केक काटकर भी स्थापना दिवस मनाया गया और वो जिला सिंगरौली मध्यप्रदेश है एवं कबीरधाम छत्तीसगढ़ है ll
रंगोली निर्माण कर फाउंडेशन का स्थापना दिवस मनाया गया ll
फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस के अवसर पर शाम को सभी जिलों मे संगठन के कार्यकर्त्ता स्वजातीय बंधुओ माताओ बहनो ने सम्पूर्ण भारत अंतर्गत लौह प्रगलक अगरिया जनजाती  भारत फाउंडेशन चौथा स्थापना दिवस (अगरिया जनजाति गौरव दिवस ) के नाम की रंगोली बना कर स्थापना दिवस को और भी बड़े धूम धाम से मनाये ll
मध्यप्रदेश से अनूपपुर, उमरिया, सीधी, सिंगरौली, डिंडोरी जिला एवं  एवं अन्य कई जिले तथा छत्तीसगढ़ से कोरिया, कोरबा, कबीरधाम, रायगढ़ ऐसे कई जिले तथा झारखंड गढ़वा ,उत्तरप्रदेश  सोनभद्र से इसी प्रकार ऐसे सम्पूर्ण भारत अंतर्गत कई राज्यों के जिलों मे फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस 15/11/2023 को जिलों मे कार्यक्रम आयोजित करते हुए घरों मे रंगोली निर्माण कर धूम धाम से स्थापना दिवस मनाया गया ll
मैनेजिंग डायरेक्टर दशरथ अगरिया जी ने अगरिया जनजाति समाज के समस्त स्वजातीय बंधुओ को फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस की बधाई दिए ll
समस्त स्वजातीय बंधुओ माताओ बहनो को अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास का मंच लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें ll आप सभी को जैसा की विदित है अगरिया जनजाति के उत्थान विकास का मंच लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन अगरिया जनजाति समाज को संगठित करने एवं समाज के उत्थान, शिक्षा, नशा मुक्ति, सहयोग, अगरिया जनजाति के संरक्षण, संस्कृति का संरक्षण के उद्देश्य से हुआ हैll ये फाउंडेशन किसी एक का नहीं बल्कि सम्पूर्ण अगरिया जनजाति समाज के व्यक्ति का है हर समाज के व्यक्ति को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए समाज को संगठित रखने एवं समाज को सही दिशा मे लेकर जाना जिम्मेदारी है फाउंडेशन से सभी को जुड़कर एक साथ एक विचार मे चलना आवश्यक है क्योंकि आज इस समाज को इसके अस्तित्व के लिए सभी की आवश्यकता एक साथ है इस जनजाति समाज को इसका पहचान अस्तित्व दिलाने एवं सशक्त समाज बनाने मे सभी की भूमिका आवश्यक है ll अतः आइये सभी इस फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस पर संकल्प लें की समाज को बिखरने नहीं  देंगे फाउंडेशन के साथ मिलकर समाज के उत्थान विकास मे अपनी जिम्मेदारी को निभाएंगे ll
यू ट्यूब पर फाउंडेशन की गतिविधि को देखने के लिए यू ट्यूब पर सर्च करें "agariya samaj sangathan bharat" और चैनल को सब्सक्राइब करके जुड़े ll

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए ...

मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी

  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी  1 -अगरिया जनजाति की मध्य प्रदेश में जनसँख्या-  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति की जनसँख्या लगभग 41243 है जो प्रदेश की कुल जनसँख्या का 0.057  प्रतिशत है।   2 -अगरिया निवास क्षेत्र -अगरिया वैसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में पाए जाते है पर मुख्यतः अधिक संख्या में अनूपपुर ,शहडोल उमरिया ,कटनी ,मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,सिंगरौली में मुख्यतः पाए जाते है।  3 -अगरिया गोत्र -अगरिया जनजाति में कुल 89 गोत्र पाए जाते है। (सम्पूर्ण गोत्र की जानकारी के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करे और विडिओ देखे )(विडिओ देखने के लिए लिंक पर क्लीक करे - https://youtu.be/D5RSMaLql1M   )जिनमे से कुछ  प्रमुख गोत्र है सोनवानी ,अहिंद ,धुर्वे ,मरकाम ,टेकाम ,चिरई ,नाग ,तिलाम ,उइके,बघेल  आदि है प्रत्येक गोत्र में टोटम पाए जाते है। एवं अगरिया जनजाति का प्रत्येक गोत्र प्राकृतिक से लिया गया है अर्थात पेड़ पौधे ,जीव जंतु से ही लिया गया है। उदाहरण के लिए जैसे बघेल गोत्र बाघ से लिया गया है।  4-...

अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति (Origin of Agariya tribal community: -)

  अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति :- कोरबा के अगरिया 👇👇👇👇👇  अब हम एक महत्वपूर्ण और कठिन समस्या की और ध्यान देते है की वास्तव में ये अगरिया कौन है क्या  ही आदिवासी है ,क्या वैसे आदिवासी है जैसे होने चाहिए ,अपने आप में जो पहले ही अस्त्तिव में आ गए थे।  संभवतः लोहे की खोज या जानकारी के समय या सेन्ट्रल प्राविन्स में लोहे  की जानकारी प्राप्त होने के समय ,अथवा क्या वे साधारण तौर पर अनेक विभिन्न आदिवासी समूहों के सदस्यों का जमावड़ा है ,जिन्होंने लोहा गलाने का काम चुन लिया है. क्या डिंडोरी मंडला अनूपपुर शहडोल सीधी  सिंगरौली के अगरिया वही अगरिया है जो गोंडो की एक शाखा है जिन्होंने लोहे का काम करना शुरू कर दिया है।  और इसलिए धीरे धीरे वे एक विशेष समुदाय के रूप में अलग हो गए है। बिलासपुर के चोख अगरिया कोरबा उपजाति से बहुत मिलते जुलते है ,क्या वे कोरबा छत्तीसगढ़ जनजाति का ही एक अलग वर्ग है जिन्होंने लोहा गलाने का काम सुरु कर  दिया है।  हम भारत के कुछ अन्य जगह के समस्याओं को रख कर बात कर सकते है। रिसले ने बताया है की बिहार तथा पशिचम बंगाल के  लो...