राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत द्वारा दशगात्र सहायता राशि शोकाकुल परिवार को प्रदाय किया गया ll सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जोड़ो अभियान 2025 ज़िला अनूपपुर के ग्राम पयारी मे संपन्न हुआ ll

ज़िला अनूपपुर ब्लॉक पुष्पराजगढ़ के ग्राम पयारी मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक 15/06/2025 को ज़िला अनूपपुर ग्राम - पयारी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ मे ज़िला स्तरीय अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया उपस्थित हुए ll

राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत द्वारा दशगात्र सहायता राशि शोकाकुल परिवार को प्रदाय किया गया ll

राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत द्वारा दशगात्र सहायता राशि शोकाकुल परिवार को प्रदाय किया गया ll
-----------------------------------------------


राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत अगरिया समाज के उत्थान एवं विकास के लिए कई उद्देश्यों को लेकर कार्य कर रहा है (जैसे शिक्षा सहायता, नशा मुक्ति, 10 वी 12 वी मे अच्छे अंक लाने पर बच्चे एवं माता पिता को प्रोत्साहित करना जैसे कई  उदेश्य ) जिसमे से एक उद्देश्य है की अगरिया समाज का यदि कोई व्यक्ति संगठन से जुडा है चाहे कोई भी जिला हो राज्य हो उस स्थिति मे यदि परिवार मे कोई शोक सन्देश जैसे समाचार आते है तो राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ की ओर से मृत्यु सहायता सहयोग राशि भी राष्ट्रीय संगठन की ओर से प्रदाय किया जाता है ll ऐसे कई सहयोग संगठन की ओर से विगत वर्षो मे संगठन की ओर से कई परिवार को किये गए है ll
ऐसा ही एक शोक सन्देश  दिनांक 17/11/22 हुआ था जिला कोरबा से कमल सिंह अगरिया जी जो की संगठन के बहुत अच्छे कार्यकर्त्ता रहे है जिनका आकस्मिक निधन उक्त दिनांक को हुआ था जिनका दशगात्र कार्यक्रम दिनांक 26/11/2022 को होना था ll दशगात्र कार्यक्रम मे संगठन की ओर से उस परिवार को 1051/- की सहायता राशि प्रदाय किया गया ll संगठन का मानना है की ये संगठन एक संगठन बस नहीं है हमारा परिवार है  यहाँ हम सब एक दूसरे के सुख दुख मे खड़े है ज़ब हम अपने समाज को अपने परिवार का हिस्सा समझेंगे तभी समाज का विकास हम कर पाएंगे और एक संगठित समाज के निर्माण मे एक दूसरे से सभी का पारिवारिक सम्बन्ध  जिसे रिस्ते होना आवश्यक है ll हमको समाज के हर क्षेत्र मे सभी बिन्दुओ को ध्यान मे रखते हुए काम करना होगा तभी समाज का विकास होगा ll
दिनांक 26/11/2022 को कमल सिंह अगरिया जिला कोरबा के निधन पर इनके परिवार को संगठन की ओर से 1051/- रूपए प्रदाय किया गया ll ये राशि कोरबा जिला निवासी अध्यक्ष श्री रामखिलावन अगरिया जी को उनके खाते मे प्रदाय किया गया है  जो स्वयं परिवार के बीच दशगात्र मे उपस्थित होकर सभी के समक्ष उक्त राशि को शोकाकुल परिवार को पूरे संगठन की टीम के साथ  प्रदाय किये ll वहा उपस्थित समाज के सभी स्वजातीय बंधुओ ने संगठन के इस योजना का सम्मान किया एवं सराहना भी किये बोले की आज तक उन्होंने कही नहीं देखा ना सुना की किसी संगठन के ओर से संगठन से जुड़े हर व्यक्ति को कोई भी संगठन ऐसा शोक सहायता सहयोग राशि हर परिवार को देता है लेकिन राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज का यह कार्य अत्यंत सराहनीय है जो संगठन से जुड़े हर परिवार को ऐसा सहयोग प्रदान करता है ll सभी ने संगठन से जुडने को कहा और अगरिया समाज के उत्थान विकास के लिए लिए मिलकर कार्य करने को बोले ll

सहयोग करने वाले स्वजातीय बंधुओ का आभार प्रकट किये राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जी
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
आप सभी सम्मानीय स्वजातीय बंधुओ का संगठन आभार प्रकट करता है की आप सभी इस संगठन को अपना परिवार समझते है एवं हमेशा एक दूसरे के साथ सुख दुख मे साथ खड़े है एक दूसरे का सहयोग करते हुए ll क्योंकि ये संगठन संगठन नहीं ये हमारा परिवार है ll संगठन आप सभी से आगामी आने वाले दिनों मे भी सहयोग की अपेक्षा रखता है की आप ऐसे ही संगठन के साथ मिलकर समाज के उत्थान एवं विकास के लिए सतत अपना 100% प्रदान करते रहेंगे ll
              
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत के गतिविधि को देखने के लिए यू ट्यूब पर सर्च करें ll "agariya samaj sangathan bharat " और चैनल को सब्सक्राइब करें ll
अगरिया समाज संगठन भारत की ऑफिसयल वेबसाइट पर विजिट करें एवं कुछ अन्य जानकारी प्राप्त करें ll
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
http://www.agariyasamajsangathanbharat.xyz

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए ...

मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी

  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी  1 -अगरिया जनजाति की मध्य प्रदेश में जनसँख्या-  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति की जनसँख्या लगभग 41243 है जो प्रदेश की कुल जनसँख्या का 0.057  प्रतिशत है।   2 -अगरिया निवास क्षेत्र -अगरिया वैसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में पाए जाते है पर मुख्यतः अधिक संख्या में अनूपपुर ,शहडोल उमरिया ,कटनी ,मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,सिंगरौली में मुख्यतः पाए जाते है।  3 -अगरिया गोत्र -अगरिया जनजाति में कुल 89 गोत्र पाए जाते है। (सम्पूर्ण गोत्र की जानकारी के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करे और विडिओ देखे )(विडिओ देखने के लिए लिंक पर क्लीक करे - https://youtu.be/D5RSMaLql1M   )जिनमे से कुछ  प्रमुख गोत्र है सोनवानी ,अहिंद ,धुर्वे ,मरकाम ,टेकाम ,चिरई ,नाग ,तिलाम ,उइके,बघेल  आदि है प्रत्येक गोत्र में टोटम पाए जाते है। एवं अगरिया जनजाति का प्रत्येक गोत्र प्राकृतिक से लिया गया है अर्थात पेड़ पौधे ,जीव जंतु से ही लिया गया है। उदाहरण के लिए जैसे बघेल गोत्र बाघ से लिया गया है।  4-...

अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति (Origin of Agariya tribal community: -)

  अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति :- कोरबा के अगरिया 👇👇👇👇👇  अब हम एक महत्वपूर्ण और कठिन समस्या की और ध्यान देते है की वास्तव में ये अगरिया कौन है क्या  ही आदिवासी है ,क्या वैसे आदिवासी है जैसे होने चाहिए ,अपने आप में जो पहले ही अस्त्तिव में आ गए थे।  संभवतः लोहे की खोज या जानकारी के समय या सेन्ट्रल प्राविन्स में लोहे  की जानकारी प्राप्त होने के समय ,अथवा क्या वे साधारण तौर पर अनेक विभिन्न आदिवासी समूहों के सदस्यों का जमावड़ा है ,जिन्होंने लोहा गलाने का काम चुन लिया है. क्या डिंडोरी मंडला अनूपपुर शहडोल सीधी  सिंगरौली के अगरिया वही अगरिया है जो गोंडो की एक शाखा है जिन्होंने लोहे का काम करना शुरू कर दिया है।  और इसलिए धीरे धीरे वे एक विशेष समुदाय के रूप में अलग हो गए है। बिलासपुर के चोख अगरिया कोरबा उपजाति से बहुत मिलते जुलते है ,क्या वे कोरबा छत्तीसगढ़ जनजाति का ही एक अलग वर्ग है जिन्होंने लोहा गलाने का काम सुरु कर  दिया है।  हम भारत के कुछ अन्य जगह के समस्याओं को रख कर बात कर सकते है। रिसले ने बताया है की बिहार तथा पशिचम बंगाल के  लो...