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लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक

दशरथ प्रसाद अगरिया निवास ज़िला - अनूपपुर  राज्य - मध्यप्रदेश 

अगरिया जनजाति सोनवानी गोत्र (सोनवानी गोत्र)

अगरिया जनजाति (Agariya Tribe) भारत की एक परंपरागत आदिवासी जनजाति है, जो मुख्य रूप से लोहा गलाने और लोहा बनाने की पारंपरिक तकनीक के लिए जानी जाती है। यह जनजाति मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में पाई जाती है।

अगरिया समाज में कई गोत्र (वंश या कुल) पाए जाते हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख गोत्र है “सोनवानी गोत्र”।

सोनवानी गोत्र का परिचय:-

1. अर्थ और मान्यता –
“सोनवानी” शब्द दो भागों से मिलकर बना है – सोना (स्वर्ण) और वानी/वानीया (जल या पवित्रता से जुड़ा अर्थ)। इस गोत्र का संबंध पवित्रता और स्वर्णिम परंपरा से जोड़ा जाता है।

2. सामाजिक स्थान –
सोनवानी गोत्र को अगरिया समाज में एक सम्मानजनक गोत्र माना जाता है। इस गोत्र के लोग पारंपरिक रूप से समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं।

3. विशेषता –

सोनवानी गोत्र के लोग प्रायः शुद्धता और नियमों के पालन में माने जाते हैं।

विवाह आदि अवसरों पर यह गोत्र विशिष्ट धार्मिक जिम्मेदारी निभाता है।

अन्य गोत्रों की तरह, यह गोत्र भी अपने अंदर विवाह संबंध नहीं करता (गोत्रांतर्गत विवाह निषिद्ध है)।

4. अगरिया समाज की परंपरा में –

सोनवानी गोत्र का संबंध लोहा गलाने की परंपरा और लौह शिल्प से भी जोड़ा जाता है।

यह गोत्र अन्य गोत्रों की तरह समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है, जो पीढ़ियों से समाज की परंपरा को आगे बढ़ाता आया है।

👉 कुल मिलाकर, सोनवानी गोत्र अगरिया जनजाति के उन प्रमुख गोत्रों में से है, जिनका संबंध समाज की धार्मिक-आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा से गहराई से जुड़ा है।

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