ए टी एम् जारी होते ही हो जाता है पांच लाख बीमा सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जोड़ो अभियान 2025 ज़िला अनूपपुर के ग्राम पयारी मे संपन्न हुआ ll

ज़िला अनूपपुर ब्लॉक पुष्पराजगढ़ के ग्राम पयारी मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे दिनांक 15/06/2025 को ज़िला अनूपपुर ग्राम - पयारी ब्लॉक पुष्पराजगढ़ मे ज़िला स्तरीय अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री दशरथ प्रसाद अगरिया उपस्थित हुए ll

ए टी एम् जारी होते ही हो जाता है पांच लाख बीमा

ए टी एम् जारी होते ही हो  जाता है  पांच लाख  बीमा 


बैंको में ए टी एम् धारको का होता है दुर्घटना बीमा 

किसी भी राष्ट्रीकृत या गैर राष्ट्रीकृत बैंक के उपभोक्ता ने यदि बैंक से ए टी एम् जारी करवाया है तो ए टी एम् जारी होते ही उस उपभोक्ता का 25000 से लेकर 5 लाख तक का दुर्घटना बीमा बैंक ने करवाया है।  यह जानकारी 99 % उपभोक्ताओं को नहीं है इतना ही नहीं बीमा योजना बिना कोई राशि जमा किये विकलांगता से लेकर मौत होने तक के मुआवजे का प्रावधान है। 



बैंको में ए टी एम् धारको के लिए बीमा योजना प्रारम्भ हुए कई साल हो गए लेकिन आज तक लोगो को इस बात की जानकारी तक नहीं है और ना ही बैंक अधिकारी कर्मचारी कभी अपने ग्राहकों को यह बताते है। बैंको के ए टी एम् उपयोग करने वाले उपभोक्ता की यदि किसी दुर्घटना में मौत होती है तो उसके परिजन नियमानुसार मुआवजा पाने के अधिकारी हो जाते है।  लेकिन यह बात ज्यादातर लोगो को पता नहीं होती और बैंक आश्रितों को मिलने वाली राशि दबा लेती है। 

इस स्थिति में ए टी एम् धारक को मिलता है लाभ 

*दुर्घटना में एक हाथ और पैर से विकलांग होने पर 50000 मुआवजा। 

*दोनों हाथ और दोनों पैर ख़राब होने पर 1 लाख रूपए। 

*ए टी एम् धारक की मौत होने पर 1 लाख रूपए। 

*मास्टर कार्ड के ग्राहकों के मृत्यु का मुआवजा दो लाख रूपए है। 

हर तरह के ए टी एम् की अलग है राशि 

बैंक तीन प्रकार के  ए टी एम् जारी करता है 

1 -क्लासिक ए टी एम्  पर 1 लाख का बीमा 

2 -प्लैटिनम कार्ड   में 2 लाख रूपए का बीमा 

3 -मास्टर कार्ड में 50 हजार रूपए का बीमा 

4 -मास्टर प्लैटिनम कार्ड पर 5 लाख का बीमा 

5 -मास्टर मित्र  कार्ड पर 25000 एवं सभी वीजा कार्डो पर 2 -2 लाख का बीमा होता है 


बैंक नहीं करती प्रचार प्रसार 

ए टी एम्  धारको का बीमा होने की बात किसी भी बैंक उपभोक्ता को नहीं पता होती जबकि यह योजना ग्राहकों के हित के लिए ही लागू की गयी है बैंक ने ए टी एम् कार्ड धारी का बीमा तो कर दिया होता है लेकिन इसका कोई प्रचार प्रसार नहीं जाता है।  यही कारण है की 99 % ग्राहकों को इस बात की जानकारी नहीं होती है। 

उपभोक़्ता  फोरम भी जा सकते है ग्राहक 

 किसी दुर्घटना में शारीरिक विकलांगता या मौत होने पर ए टी एम् ग्राहक या उसके परिजन बैंक से मुआवजे की मांग कर सकते है। और बैंक यदि मुआवजा देने से इंकार करता है तो ग्राहक या आश्रित परिवार ,उपभोक्ता फोरम में बैंक  खिलाफ फरियाद भी प्रस्तुत कर सकते है। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए ...

मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी

  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी  1 -अगरिया जनजाति की मध्य प्रदेश में जनसँख्या-  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति की जनसँख्या लगभग 41243 है जो प्रदेश की कुल जनसँख्या का 0.057  प्रतिशत है।   2 -अगरिया निवास क्षेत्र -अगरिया वैसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में पाए जाते है पर मुख्यतः अधिक संख्या में अनूपपुर ,शहडोल उमरिया ,कटनी ,मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,सिंगरौली में मुख्यतः पाए जाते है।  3 -अगरिया गोत्र -अगरिया जनजाति में कुल 89 गोत्र पाए जाते है। (सम्पूर्ण गोत्र की जानकारी के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करे और विडिओ देखे )(विडिओ देखने के लिए लिंक पर क्लीक करे - https://youtu.be/D5RSMaLql1M   )जिनमे से कुछ  प्रमुख गोत्र है सोनवानी ,अहिंद ,धुर्वे ,मरकाम ,टेकाम ,चिरई ,नाग ,तिलाम ,उइके,बघेल  आदि है प्रत्येक गोत्र में टोटम पाए जाते है। एवं अगरिया जनजाति का प्रत्येक गोत्र प्राकृतिक से लिया गया है अर्थात पेड़ पौधे ,जीव जंतु से ही लिया गया है। उदाहरण के लिए जैसे बघेल गोत्र बाघ से लिया गया है।  4-...

अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति (Origin of Agariya tribal community: -)

  अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति :- कोरबा के अगरिया 👇👇👇👇👇  अब हम एक महत्वपूर्ण और कठिन समस्या की और ध्यान देते है की वास्तव में ये अगरिया कौन है क्या  ही आदिवासी है ,क्या वैसे आदिवासी है जैसे होने चाहिए ,अपने आप में जो पहले ही अस्त्तिव में आ गए थे।  संभवतः लोहे की खोज या जानकारी के समय या सेन्ट्रल प्राविन्स में लोहे  की जानकारी प्राप्त होने के समय ,अथवा क्या वे साधारण तौर पर अनेक विभिन्न आदिवासी समूहों के सदस्यों का जमावड़ा है ,जिन्होंने लोहा गलाने का काम चुन लिया है. क्या डिंडोरी मंडला अनूपपुर शहडोल सीधी  सिंगरौली के अगरिया वही अगरिया है जो गोंडो की एक शाखा है जिन्होंने लोहे का काम करना शुरू कर दिया है।  और इसलिए धीरे धीरे वे एक विशेष समुदाय के रूप में अलग हो गए है। बिलासपुर के चोख अगरिया कोरबा उपजाति से बहुत मिलते जुलते है ,क्या वे कोरबा छत्तीसगढ़ जनजाति का ही एक अलग वर्ग है जिन्होंने लोहा गलाने का काम सुरु कर  दिया है।  हम भारत के कुछ अन्य जगह के समस्याओं को रख कर बात कर सकते है। रिसले ने बताया है की बिहार तथा पशिचम बंगाल के  लो...