ज़िला अनूपपुर के ग्राम टिकईटोला मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान संपन्न हुआ सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नवोदय विद्यालय मे 2026-27 मे कक्षा 9 मे प्रवेश हेतु फार्म भरना सुरु हो चुका है ll

9th me प्रवेश हेतु नवोदय की वेबसाइट सत्र 2026-27 मे जो बच्चे कक्षा 9 मे नवोदय विद्यालय मे प्रवेश लेना चाहते है उनके लिए खुसखबरी है की 9th प्रवेश हेतु ऑनलाइन आवेदन भरना सुरु हो चुका है ll इसलिए बिना देर किये जल्द से जल्द नवोदय विद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भरे ll आवेदन कौन भर सकता है :- आवेदन भरने के लिए 2025-26 मे कक्षा 8 का छात्र होना आवश्यक है और आप जिस राज्य और जिले से होंगे आपको आवेदन भरने के दौरान वही राज्य और ज़िला चुनना होगा ll आवेदन भरने के लिए जरुरी दस्तावेज क्या लगेगा :- आवेदन भरने के लिए कोई खास दस्तावेज नहीं लगना है केवल छात्र की फोटो,  छात्र का हस्ताक्षर, एवं पिता या माता का पालक का हस्ताक्षर लेकर आप नवोदय विद्यालय के कक्षा 9 मे सत्र 2026-27 मे प्रवेश हेतु आवेदन कर सकते है ll आवेदन भरने की अंतिम तिथि क्या है :- नवोदय विद्यालय कक्षा 9 मे 2026-27 मे प्रवेश हेतु अंतिम तिथि 23 सितम्बर 2025 निर्धारित किया गया है ll निर्धारित तिथि तक आवेदन किया जा सकता है ll  आवेदन भरने के उपरांत चयन की प्रक्रिया क्या होगी :-  आवेदन भरने के उपरांत...

ज़िला अनूपपुर के ग्राम टिकईटोला मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान संपन्न हुआ

अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास का संस्था लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे ज़िला अनूपपुर ब्लॉक कोतमा के ग्राम टिकईटोला मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 12/06/2024 को हुआ ll कार्यक्रम मे ज़िला अनूपपुर,उमरिया, शहडोल, सीधी, सिंगरौली (मध्यप्रदेश) एवं कोरिया (छत्तीसगढ़)जिलों के कार्यकर्ता, पदाधिकारी शामिल  हुए ll अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम के लिए फाउंडेशन द्वारा अन्य जिले से नोडल कार्यकर्ता अधिकारी की नियुक्ति की गयी थी जिनके मुख्य अतिथ्य मे कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll फाउंडेशन द्वारा अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य अगरिया जनजाति समाज को संगठित करना, अगरिया जनजाति का संरक्षण, समाज की संस्कृति का संरक्षण करना, समाज मे बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, तथा शिक्षा मे सहयोग करना, विवाह मे सहयोग करना, इलाज मे सहयोग करना, दशगात्र मे सहयोग करना तथा समाज को नशा मुक्त समाज बनाना तथा समाज से रूढ़िवादी विचार को समाप्त करना एवं ऐसे समस्त फाउंडेशन द्वारा समाज के लिए चलाये जा रहे मुहीम से अगरिया जन समुदाय को अवगत कराना है और सम्पूर्ण भारत मे अगरिया जनजाति समाज का एक संगठित समाज का निर्माण करना है ll कार्यक्रम की शुरुआत अगरिया जनजाति के इष्ट देव लोहासूर पूजन के साथ हुआ ll इसके पश्चात नोडल कार्यकर्त्ता अधिकारी श्री सुखित लाल अगरिया जी द्वारा फाउंडेशन के एजेंडा का विधिवत विश्लेषण किया गया बिंदुवार संगठन के समस्त उद्देश्य की जानकारी उपस्थित समाज के स्वजातीय बन्धुओं को दिए ll तथा विजय अगरिया कोर डायरेक्टर निवासी उमरिया एवं सीधी जिलाध्यक्ष सुखलाल अगरिया जी द्वारा शिक्षा और अगरिया जनजाति के इतिहास, और अगरिया जनजाति के अस्तित्व पर सन्देश दिए ll
लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन मैनेजिंग डायरेक्टर दशरथ प्रसाद अगरिया कोतमा द्वारा बताया गया की ये संस्था अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास के लिए है इस मंच के माध्यम से अगरिया जनजाति समाज के समस्त बिन्दुओ पर कार्य किया जाता है आज अगरिया जनजाति समाज का अस्तित्व और संस्कृति विलुप्त के कगार पर रहा है,अगरिया जनजाति को उसका वास्तविक पहचान नहीं मिल पा रहा था, अगरिया जनजाति समाज एक वैज्ञानिक समाज है जिसने इस दुनिया मे सर्व प्रथम लौह अयस्क की पहचान किये और लौह अयस्क को भट्ठी मे डालकर पारम्परिक तरीके से पत्थर को गलाकर लोहा बनाया ll आज अगरिया जनजाति समाज की ही देन है की बड़े बड़े कंपनी मे लोहे का निर्माण किया जाता है, इस संस्कृति को जन्म देने वाला इकलौता समाज अगरिया जनजाति समाज है ll फिर भी आज इस जनजाति समाज का नाम पहचान विलोपित होता जा रहा है ll इस समाज का स्तर आज भी शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी मे अति न्यून है मध्यप्रदेश सरकार एवं भारत सरकार को अगरिया जनजाति समाज का सर्वे लेते हुए अगरिया जनजाति समाज को विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा देना चाहिए ll 
बताया गया की लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन द्वारा अगरिया समाज मे बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्लास 10 वी 12 वी मे अच्छे अंक से उत्तीर्ण छात्रों को संस्था द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जाता है तथा फीस बस्ता कॉपी पुस्तक मे भी सहयोग किया जाता है ll इसके अलावा समाज मे विवाह सहायता परिवार को, समाज मे दशगात्र सहयोग, इलाज सहयोग तथा समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए समाज मे मुहीम चलाया जा रहा है की "नशा नाश का कारण है " समाज मे बच्चों के भविष्य के लिए समाज को नशा मुक्त होना आवश्यक है इससे बच्चों मे शिक्षा के स्तर मे एवं अगरिया जनजाति के स्तर मे सुधार आएगा ll 
कार्यक्रम के दौरान शिक्षा प्रोत्साहन हेतु नर्सरी, आंगनबाडी, एवं कक्षा 1 से 5 वी तक के पढ़ने वाले ज़िला अनूपपुर के छात्रों को पहाड़ा, पेंसिल, पेन, कॉपी वितरण किया गया एवं बच्चों मे सन्देश दिया गया की आगे बढे पूरा समाज सदैव बच्चों के साथ खड़ा है ll बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया तथा नशा मुक्ति पर नाटक प्रस्तुत किया गया और सन्देश दिया गया की नशे से घर परिवार समाज बर्बाद हो रहा है इससे दूर रहे ll
कार्यक्रम के अंतिम मे उपस्थित सामाजिक सामाजिक स्वजातीय बन्धुओं को शपथ ग्रहण कराया गया की सभी समाज मे अपनी जिम्मेदारी ले अगरिया समाज के उत्थान विकास के लिए एक कदम समाज की ओर बढ़ाये ll
कार्यक्रम मे फाउंडेशन मैनेजिंग डायरेक्टर दशरथ अगरिया कोतमा, विजय अगरिया कोर डायरेक्टर ,गयादीनअगरिया, मुकेश अगरिया, रामरतन अगरिया उमरिया, सुखलाल अगरिया सीधी, सुखित लाल अगरिया नोडल कोरिया छत्तीसगढ़, विश्वनाथ अगरिया, माखन अगरिया, मायाराम अगरिया, रामविलास अगरिया सहित 100-200 की संख्या मे माताए बहने बच्चे अगरिया जोड़ो अभियान कार्यक्रम ग्राम टिकईटोला मे सम्मिलित हुए ll
फाउंडेशन की गतिविधि को यू ट्यूब पर देखने के लिए यू ट्यूब पर सर्च करें अगरिया समाज संगठन भारत और चैनल को सब्सक्राइब करें ll
फेसबुक पर देखने के लिए सर्च करें अगरिया समाज संगठन भारत और चैनल को सब्सक्राइब करें 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए ...

मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी

  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी  1 -अगरिया जनजाति की मध्य प्रदेश में जनसँख्या-  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति की जनसँख्या लगभग 41243 है जो प्रदेश की कुल जनसँख्या का 0.057  प्रतिशत है।   2 -अगरिया निवास क्षेत्र -अगरिया वैसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में पाए जाते है पर मुख्यतः अधिक संख्या में अनूपपुर ,शहडोल उमरिया ,कटनी ,मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,सिंगरौली में मुख्यतः पाए जाते है।  3 -अगरिया गोत्र -अगरिया जनजाति में कुल 89 गोत्र पाए जाते है। (सम्पूर्ण गोत्र की जानकारी के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करे और विडिओ देखे )(विडिओ देखने के लिए लिंक पर क्लीक करे - https://youtu.be/D5RSMaLql1M   )जिनमे से कुछ  प्रमुख गोत्र है सोनवानी ,अहिंद ,धुर्वे ,मरकाम ,टेकाम ,चिरई ,नाग ,तिलाम ,उइके,बघेल  आदि है प्रत्येक गोत्र में टोटम पाए जाते है। एवं अगरिया जनजाति का प्रत्येक गोत्र प्राकृतिक से लिया गया है अर्थात पेड़ पौधे ,जीव जंतु से ही लिया गया है। उदाहरण के लिए जैसे बघेल गोत्र बाघ से लिया गया है।  4-...

अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति (Origin of Agariya tribal community: -)

  अगरिया आदिवासी समुदाय की उत्पत्ति :- कोरबा के अगरिया 👇👇👇👇👇  अब हम एक महत्वपूर्ण और कठिन समस्या की और ध्यान देते है की वास्तव में ये अगरिया कौन है क्या  ही आदिवासी है ,क्या वैसे आदिवासी है जैसे होने चाहिए ,अपने आप में जो पहले ही अस्त्तिव में आ गए थे।  संभवतः लोहे की खोज या जानकारी के समय या सेन्ट्रल प्राविन्स में लोहे  की जानकारी प्राप्त होने के समय ,अथवा क्या वे साधारण तौर पर अनेक विभिन्न आदिवासी समूहों के सदस्यों का जमावड़ा है ,जिन्होंने लोहा गलाने का काम चुन लिया है. क्या डिंडोरी मंडला अनूपपुर शहडोल सीधी  सिंगरौली के अगरिया वही अगरिया है जो गोंडो की एक शाखा है जिन्होंने लोहे का काम करना शुरू कर दिया है।  और इसलिए धीरे धीरे वे एक विशेष समुदाय के रूप में अलग हो गए है। बिलासपुर के चोख अगरिया कोरबा उपजाति से बहुत मिलते जुलते है ,क्या वे कोरबा छत्तीसगढ़ जनजाति का ही एक अलग वर्ग है जिन्होंने लोहा गलाने का काम सुरु कर  दिया है।  हम भारत के कुछ अन्य जगह के समस्याओं को रख कर बात कर सकते है। रिसले ने बताया है की बिहार तथा पशिचम बंगाल के  लो...