लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे ज़िला रायगढ़ के ग्राम - सराई पाली मे दिनांक - 20/04/2025 को अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ll अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम फाउंडेशन का एक बहुत ही अहम और मुख्य अभियान है जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण भारत मे अगरिया जनजाति समाज को संगठित करना एवं समाज के सम्पूर्ण उत्थान एवं विकास मे फाउंडेशन द्वारा चलाये जा रहे मुहीम से अगरिया जनसमुदाय अवगत कराना है ll कार्यक्रम का आयोजन ज़िला इकाई रायगढ़ समिति ज़िलाध्यक्ष श्री उबरन अगरिया जी एवं पूरी ज़िला टीम के सफल प्रयास से संभव हुआ ll अगरिया जोड़ो अभियान कार्यक्रम सम्पूर्ण भारत मे प्रत्येक वर्ष माह - मार्च एवं अप्रैल मे पूरे भारत मे फाउंडेशन से जुड़े सभी जिलों मे आयोजित किये जाते है ll कार्यक्रम मे फाउंडेशन द्वारा समाज के उत्थान एवं विकास हेतु चलाये गतिविधियों को सम्पूर्ण अगरिया जनसमुदाय तक पहुंचाने हेतु एजेंडा का वाचन जिलों के लिए नियुक्त नोडल द्वारा किया जाता है ll नोडल जिलों जिलों मे जाकर फाउंडेशन द्वारा प्रदाय एजेंडा को विधिवत विश्लेषण करते हुए पढ़...
16 वी सदी में स्वदेशी विधि से उम्दा लोहा बनाते थे अगरिया आदिवासी उपलब्धि -डॉ दीपक द्विवेदी शोध पत्र इंग्लैंड की शोध पत्रिका नेचर में प्रकाशित ,कलांतर यह कला लुप्त हो गयी ,धौकनी का इस्तेमाल करते थे कुछ इस तरह से थी हमारी अपनी स्वदेसी तकनीक -अगरिया आदिवासी जिस लौह अयस्क का उपयोग करते थे वह उच्च गुणवत्ता का था। फोर्जिंग तकनीक थी जो लोहे के ऊपर एक परत बनाती थी जो लोहे को जंग रोधी बनाता था। लोहे को पीटने से भीतर सारे छिद्र बंद कर बाहरी तत्वों को अभिक्रिया कर जंग बनाने के कारक ख़तम हो जाते थे। लौह अयस्क में कैल्सियम ,सिलिकॉन व फास्फोरस होता है ,जिसे जंग रोधी बनाने वर्तमान में ब्लास्ट फर्नेस ,फास्फोरस क्रोमियम व निकिल जैसे तत्व मिलाये जाते है। उस दौर में पूरी तरह स्वदेसी तकनीक से कम तापमान व कम खर्च में वे घर में बना लोहा ज्यादा मजबूत ,जंग रोधक व सस्ता था ,वर्तमान में विदेशो में पेटेंट तकनीक उपयोग हो रही है। जिस विधि से आज लोहा बनाया जाता है ,स्वदेसी तकनीक से भारत के अगरिया आदिवासी सदियों पहले उम्दा लोहा बनाया करते थे। तब की परंपरागत व...